
Atulniy Sangharsh
कुछ यही उम्मीद लेकर मास्टर शिबम मैती ने पुस्तक लेखन की दुनिया में अपने पांव पसारे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर ज़िले के पांशकुड़ा नामक जगह में ०५ नवंबर २०१० को हुआ। एक सैन्य परिवार से होने के कारण उन्हें भारतीय सेना का अच्छा खासा ज्ञान है। उन्होंने हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में कई सारी कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। उनमें से कुछ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली के उभरते लेखक कार्यक्रम में भी भेजी जा चुकी है। उनके संग्रह की कुछ कहानियां इस किताब में संकलित की गई हैं। इन सबके अलावा वह मंच संचालन भी करते हैं। आज तक उन्होंने कई सारे मंचों में संचालन किया है। उनके गणित शिक्षक श्री मुकेश शर्मा एवं उनके पुराने स्कूल के हिंदी शिक्षक श्री विशाल शर्मा ने उन्हें इस कार्य के लिए जमकर प्रोत्साहित किया। उनके इस कृत्य के कारण उन्हें कमान अधिकारी प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया है। आर्मी पब्लिक स्कूल, अखनूर से अपनी शिक्षा प्राप्त करने के दौरान उन्होंने यह किताब लिखी। इस किताब को लिखने में उन्होंने अपनी जी जान लगा दी क्योंकि यह उनकी जिंदगी की पहली, स्वयं लिखी हुई किताब है। उनके लिए उनकी प्रधानाचार्या महोदया का सहयोग, उनकी हिंदी अध्यापिका श्रीमती स्वेता सिकरवार की मदद, कनिष्ठ पुस्तकालय प्रभारी श्रीमति फ़रहत ज़री की सहकारिता एवं ललित कला शिक्षक श्री साहिल ओहरी का पुस्तक के प्रति योगदान सराहनीय है। इसके अलावा उनका यह भी मानना रहा है कि यह किताब उनके माता-पिता के समर्थन एवं आशीर्वाद के कारण पूरा हो पाया है। इसके अतिरिक्त वह काव्या पब्लिकेशन का भी शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने उन जैसे तुच्छ लेखक को उभरने का मौका दिया। उम्मीद है कि आगे उन्हें उभरने के और भी बहुत सारे मौके मिलेंगे।.
Product Details
- Format: Paperback
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:92 pages
- Language:HINDI
- ISBN:978-9364314336
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:May 31 ,2025
Product Description
कुछ यही उम्मीद लेकर मास्टर शिबम मैती ने पुस्तक लेखन की दुनिया में अपने पांव पसारे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर ज़िले के पांशकुड़ा नामक जगह में ०५ नवंबर २०१० को हुआ। एक सैन्य परिवार से होने के कारण उन्हें भारतीय सेना का अच्छा खासा ज्ञान है। उन्होंने हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में कई सारी कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। उनमें से कुछ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली के उभरते लेखक कार्यक्रम में भी भेजी जा चुकी है। उनके संग्रह की कुछ कहानियां इस किताब में संकलित की गई हैं। इन सबके अलावा वह मंच संचालन भी करते हैं। आज तक उन्होंने कई सारे मंचों में संचालन किया है। उनके गणित शिक्षक श्री मुकेश शर्मा एवं उनके पुराने स्कूल के हिंदी शिक्षक श्री विशाल शर्मा ने उन्हें इस कार्य के लिए जमकर प्रोत्साहित किया। उनके इस कृत्य के कारण उन्हें कमान अधिकारी प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया है। आर्मी पब्लिक स्कूल, अखनूर से अपनी शिक्षा प्राप्त करने के दौरान उन्होंने यह किताब लिखी। इस किताब को लिखने में उन्होंने अपनी जी जान लगा दी क्योंकि यह उनकी जिंदगी की पहली, स्वयं लिखी हुई किताब है। उनके लिए उनकी प्रधानाचार्या महोदया का सहयोग, उनकी हिंदी अध्यापिका श्रीमती स्वेता सिकरवार की मदद, कनिष्ठ पुस्तकालय प्रभारी श्रीमति फ़रहत ज़री की सहकारिता एवं ललित कला शिक्षक श्री साहिल ओहरी का पुस्तक के प्रति योगदान सराहनीय है। इसके अलावा उनका यह भी मानना रहा है कि यह किताब उनके माता-पिता के समर्थन एवं आशीर्वाद के कारण पूरा हो पाया है। इसके अतिरिक्त वह काव्या पब्लिकेशन का भी शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने उन जैसे तुच्छ लेखक को उभरने का मौका दिया। उम्मीद है कि आगे उन्हें उभरने के और भी बहुत सारे मौके मिलेंगे।.