Anjana Humsafar (Fursat Ke Pal)

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Anjana Humsafar (Fursat Ke Pal)
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Anjana Humsafar (Fursat Ke Pal)

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चंदन- सुना है पं० शंकर प्रसाद की बहनिया है। कहीं शंकर जी का तीसरा नेत्र खुल गया तो घर वालों को हड्डियों का पाउडर ही मिलेगा। शैली - मैं लड़की हूँ, मुझे फर्क पड़ता है। परिवार व वंश की मान-मर्यादा मुझसे गाँठ की तरह बंधी है। कांति - क्यों न हो देव भैया? जॉनी वॉकर की सील जब खुलेगी, ब्रह्मांड में सुगंधित हवाएँ चलने लगेंगी और उन हवाओं से मदमस्त हो स्वर्ग में अप्सराएँ नृत्य करने लगेंगी। ये आँसू उस दिन के लिए संभाल कर रखो बेटी, जिस दिन दूल्हे देव राजा तुम्हें लेने आएँगे । तृप्ता - कौन पिता अपनी दुहिता को घर में रख पाया है बेटी? पिता का घर तो एक सेतु है उस पार पति के घर जाने के लिए। राजीव - कांति भाई, बिना प्यार के जग सूना है। कांति - और प्यार होने से कोर्ट सूना। न कोई विवाद - फ़साद होगा, न कोई कोर्ट आएगा। प्यार सनातन है बेटी, इसका कोई प्राचीन व नवीन संस्करण नहीं होता । यह युगों-2 से एक ही धारा में बहता रहा है। प्यार न शिफ़्ट होता है, न गिफ़्ट होता है। यह त्याग व कुर्बानी से लिफ्ट होता है। शिवि - क्यों नहीं ? यह प्यार की अग्नि है जो पास रहते शीतल रहती है व दूर जाने पर भभक उठती हैं। नदी के शांत तीर अब अँधेरों में विलुप्त हो गए हैं। क्यों न हो, अलग रहने वाले हमेशा विलुप्त ही हो जाते हैं, प्राणी हो या प्रकृति ।.

Product Details

  • Format: Paperback
  • Book Size:5.5 x 8.5
  • Total Pages:281 pages
  • Language:English
  • ISBN:978-9364311526
  • Paper Type:Perfect
  • Publication Date:September 21 ,2025

Product Description

चंदन- सुना है पं० शंकर प्रसाद की बहनिया है। कहीं शंकर जी का तीसरा नेत्र खुल गया तो घर वालों को हड्डियों का पाउडर ही मिलेगा। शैली - मैं लड़की हूँ, मुझे फर्क पड़ता है। परिवार व वंश की मान-मर्यादा मुझसे गाँठ की तरह बंधी है। कांति - क्यों न हो देव भैया? जॉनी वॉकर की सील जब खुलेगी, ब्रह्मांड में सुगंधित हवाएँ चलने लगेंगी और उन हवाओं से मदमस्त हो स्वर्ग में अप्सराएँ नृत्य करने लगेंगी। ये आँसू उस दिन के लिए संभाल कर रखो बेटी, जिस दिन दूल्हे देव राजा तुम्हें लेने आएँगे । तृप्ता - कौन पिता अपनी दुहिता को घर में रख पाया है बेटी? पिता का घर तो एक सेतु है उस पार पति के घर जाने के लिए। राजीव - कांति भाई, बिना प्यार के जग सूना है। कांति - और प्यार होने से कोर्ट सूना। न कोई विवाद - फ़साद होगा, न कोई कोर्ट आएगा। प्यार सनातन है बेटी, इसका कोई प्राचीन व नवीन संस्करण नहीं होता । यह युगों-2 से एक ही धारा में बहता रहा है। प्यार न शिफ़्ट होता है, न गिफ़्ट होता है। यह त्याग व कुर्बानी से लिफ्ट होता है। शिवि - क्यों नहीं ? यह प्यार की अग्नि है जो पास रहते शीतल रहती है व दूर जाने पर भभक उठती हैं। नदी के शांत तीर अब अँधेरों में विलुप्त हो गए हैं। क्यों न हो, अलग रहने वाले हमेशा विलुप्त ही हो जाते हैं, प्राणी हो या प्रकृति ।.

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