
Zahin Ziddi Dubali Ladki
मां विध्यवासिनी के धाम से निकल कर बाबा विश्वनाथ के दरबार में उपस्थिति दर्ज कराई। फिर कभी नाव पर, कभी गाड़ी पर, कभी पैदल सफर तय करके दिल वालों की दिल्ली में स्थाई पड़ाव कर लिया । कंधे पर लादे मेरे थैले में किस्म किस्म की डिग्रियों और सरकारी सेवा के कागज़ात थे जो अब आलमारी में रखे हैं। हक़ीक़त की बुनियाद पर कल्पना ने उड़ान भरी - और निरंतर लिखता रहा । ज़हीन ज़िद्दी-दुबली-लड़की - शीर्षक से जिन्दगी के उत्तार चढाव कविता की शक्ल में पेश हैं। मैं आभारी हूँ अपने परिवार और सहयोगियों का जिन्होंने अब तक मुझे ख़ारिज नहीं किया है-और मुझे अपनी जमात में जगह दी हैं ।.
Product Details
- Format: Paperback
- Book Size:5 x 8
- Total Pages:103 pages
- Language:English
- ISBN:978-9364314138
- Paper Type:PAPERBACK
- Publication Date:June 9 ,2025
Product Description
मां विध्यवासिनी के धाम से निकल कर बाबा विश्वनाथ के दरबार में उपस्थिति दर्ज कराई। फिर कभी नाव पर, कभी गाड़ी पर, कभी पैदल सफर तय करके दिल वालों की दिल्ली में स्थाई पड़ाव कर लिया । कंधे पर लादे मेरे थैले में किस्म किस्म की डिग्रियों और सरकारी सेवा के कागज़ात थे जो अब आलमारी में रखे हैं। हक़ीक़त की बुनियाद पर कल्पना ने उड़ान भरी - और निरंतर लिखता रहा । ज़हीन ज़िद्दी-दुबली-लड़की - शीर्षक से जिन्दगी के उत्तार चढाव कविता की शक्ल में पेश हैं। मैं आभारी हूँ अपने परिवार और सहयोगियों का जिन्होंने अब तक मुझे ख़ारिज नहीं किया है-और मुझे अपनी जमात में जगह दी हैं ।.